मधुमक्खी पालन कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने की क्षमता रखती है। मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो मानव जाति को लाभान्वित करता है। यह एक कम खर्चीला घरेलू उद्योग है। जिसमें रोजगार, आय व वातावरण को शुद्ध रखने के साथ-साथ मधुमक्खी फलों, सब्जियां और फसलों के उत्पादन में एक पोलिंग एजेंट का कार्य करती है। जिससे उत्पादन की क्षमता में 33% की वृद्धि होती है। इस व्यवसाय को समाज के हर वर्ग के लोग अपनाकर लाभान्वित हो सकते हैं। मधुमक्खियाँ मौन समुदाय में रहने वाली कीट वर्ग की जंगली जीव है। इन्हें उनकी आदतों के अनुकूल कृत्रिम घर में पाल कर उनकी वृद्धि करने तथा शहद एवं मोम आदि प्राप्त करने को मधुमक्खी पालन कहते हैं।

मधुमक्खी पालन ने आज कम लागत वाली कुटीर उद्योग का दर्जा प्राप्त कर लिया है। भूमिहिन ग्रामीण बेरोजगार किसानों, नवयुवकों के लिए यह आमदनी की एक अच्छी साधन बन गई है। मधुमक्खी पालन से जुड़े संबंधित सामग्रियों को तैयार करने में जैसे:- बढ़ईगिरी, लोहारगिरी एवं शहद विपणन आदि में भी रोजगार का बड़ा अवसर मिलता है।

मधुमक्खियों द्वारा मिलने वाली उत्पादक पदार्थों जैसे:- शहद, मोम, गोंद, (रायल जेली, प्रोपोलिस, डंकविष) आदि उत्पाद प्राप्त होते हैं। साथ ही मधुमक्खीयों के द्वारा फुलों में परप्रागन होने के कारण फसलों की उपज में लगभग एक चैथाई यानि 33% की बढ़ोतरी हो जाती है।

-हमारा लक्ष्य किसानों को समृद्ध बनाना-