
तलाब में मछली पालन:- किसान भाईयों आज पूरे विश्व में मांसाहारी भोजन की बढ़ती मांग के कारण मछली उत्पादन में वृद्धि अति आवश्यक है। मछली एक उत्तम प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों के रूप में महत्वपूर्ण भुमिका निभाती है। मछली को सभी वर्ग के लोग पसंद करते हैं। मछली पालन से जल, भूमी को स्वस्थ बनाने में मदद मिलती है। और ग्रामीण क्षेत्र में तालाब में मछली पालन, छोटे एवं बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। जिससे एक बड़ी संख्या में स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है। मछली उत्पादन के साथ-साथ सह मछली पालन की जा सकती है। जैसे:- प.बंगाल में धान सह मछली पालन, बिहार में मखाना सह मछली पालन, झारखण्ड में बत्तख सह मछली पालन तथा विभिन्न राज्यों में सह पालन के रूप में मछली पालन के साथ में, मुर्गी, बकरी, सूअर, मोती आदि। जिससे तालाबों में जैविक खाद की आपूर्ति होती है, साथ ही मांस, दुध, अंडों एवं सजावटी मछली के रूप में किसानों को इस व्यवसाय से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।
बायोफ्लाॅक विधि मछली पालन:बायोफ्लााॅक टेक्नतकनीक यह एक वैज्ञानिक व आधुनिक मछली पालन की विधि है। किसान भाईयों इस विधि से बिना तालाब की खुदाई किए एक सिंमेटेड या तारकोलिन टैंक के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मछलियों को पाला जा सकता है। इस तकनिक से आप अपने आंगन या घर के पास बारी या खाली प्लाॅट में कर सकते हैं। चूंकि इस विधि में कम जगह और कम पानी लगता है। और हाई डेनसीटी में मछली पालन की जा सकती है। मछली की बढ़ती मांग या खपत को देखते हुए मत्स्य या मछली पालक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस विधि को अपना रहे हैं। इस तकनिक या विधि को अपनाते हुए। मछली पालक न सिर्फ नीली क्रांति के अग्रदुत बनेंगे बल्कि स्वरोजगार का एक बहुत बड़ा स्कोप है और बेरोजगारी से भी मुक्ति मिलेगी।