औषधीय पौधों का उपयोग हमारे देश में स्वास्थ्य संबंधित दवा बनाने में किया जाता है। आयुर्वेद पद्धति को बढ़ावा देने के लिए औषधीय एवं सुगंधित फसलों का उत्पादन बढ़ाना बहुत जरूरी है। भारत वर्ष भर में खेती की जाने वाली औषधीय पौधों का नाम इस प्रकार है :- गिलोय, सतावर, स्टेविया, तुलसी, एलोवेरा, अष्वगंधा, सफेद मुसली, लेमन ग्रास, खस, गुग्गुल, सर्पगंधा, शंखपुष्पी, कालमेघ, ब्राह्मी, आँवला, इसबगोल, काली हल्दी आदि औषधीय फसलों की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। भारत औषधीय फसलों का एक बहुत बड़ा बाजार है। यह कि भारतीय औषधियों एवं सुगंधित फसलों का कच्चा उत्पाद के 60 से 70 प्रतिशत तक निर्यात करता है। और औषधीय एवं सुगंधित फसलों का बाजार में अधिक मूल्य प्राप्त होने के कारण किसानों के लिए औषधीय एवं सुगंधित फसलों की खेती हमेशा लाभदायक रहा है। किसान भाईयों पूरे देश भर के राज्यों में विभिन्न प्रकार के औषधीय खेती की जा सकती है। औषधीय एवं सुगंधित फसलों की खेती करने में कम मेहनत, कम लागत एवं कम पानी की जरूरत पड़ती है। जिससे औषधीय खेती से किसानों की बदहाली एवं आर्थिक अवस्था को सुधारा जा सकता है।

औषधीय पौधों की खेती के लिए पौधों की जरूरत होती है। जो कुछ औषधीय पौधे काफी महंगे होते हैं। किसान भाईयों केन्द्र सरकार के द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत किसानों को सब्सिडी पर औषधीय फसलों की खेती कर सकते हैं।

-हमारा लक्ष्य किसानों को समृद्ध बनाना-