जैविक खेती Organic Farming कृषि कार्य की एक विधि है। जैविक खाद या कार्बनिक खाद वर्ग के अंतर्गत जो पशु -पक्षियों के मल-मूत्र कुड़ा कचरा या कृषि बेस्टज अवशेषों से बने खाद अथवा पेड़-पौधों से प्राप्त होने वाले पदार्थ होते हैं। जो संष्लेषित उर्वरकों एवं संष्लेषित किटनाषकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है। इस कृषि विधि में रसायनिक उर्वरकों एवं केमिकल (पेस्टीसाइट) किटनाषकों का प्रयोग नहीं किया जाता है। ऐसी जैविक खादों के प्रयोग से मिट्टी की भौतिक एवं पर्यावरण अवस्था में सुधार होता है। मिट्टी की भौतिक एवं पर्यावरण अवस्था में सुधार होता है। मिट्टी में ह्युमस का निर्माण होता है तथा मित्र अणुजीवानुओं के विकास के लिए उपयुक्त वातावरण बनता है। भूमि के वाटर (पानी) लेबल के स्तर को बढ़ने में मदद मिलती है। जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए फसल चक्र में हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट खाद, वर्मी फास खाद, रेस्डीव फ्री, गोबर खाद, कार्बनिक खाद, खलिया खाद, जैविक उर्वरकों, राइजोबियम, नीली हरी शैवाल व फास्फोरिक बैक्टीरिया खाद एवं विभिन्न प्रकार के जैविक खाद वेस्ड डिकम्पोजर बैक्टीरीया के द्वारा तैयार कर बड़ी आसानी से जैविक खेती की जा सकती है।

जैविक खाद तैयार करने के लिए हमारे ग्रामीण एवं शहरी घरों में जो हरी सब्जियों के छिलके या किचन से निकलने वाली वेस्ट से हम एक अच्छी गुणवत्ता की जैविक खाद, घर पर तैयार कर सकते हैं। जिससे हम होम गार्डेन या किचन गार्डेन में लगने वाले फुल व पत्तेदार साग-सब्जियों को उगाने के लिए जैविक खाद और किटनाषक घर पर तैयार कर उपयोग में ला सकते हैं। जिससे हमारे आस-पास में स्वच्छता बनी रहेगी।

किसान भाईयों एवं बहनें आप सभी को जैविक खेती करने की आग्रह आर पी जी करती है। जैविक खाद के द्वारा उपजाए गए सभी प्रकार के फल, सब्जी, अनाज विषमुक्त उपज होती है। जिससे हम मानव जाति, जिव-जंतु, पशु, पक्षियों, पेड़-पौधों, जल संरक्षण से पर्यावरण से लेकर समस्त चल अचल जिवों समेत पूरे पृथ्वीवासियों को एक लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन प्राप्त होगा।

-हमारा लक्ष्य किसानों को समृद्ध बनाना-